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Shiv Aur Parvati Ka Vivaah | शिव और पार्वती का विवाह

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  Table 1 रचयिता ग्रंथ  पात्र प्रकाशक टीकाकार भाषा शैली काण्ड  गोस्वामी तुलसीदास जी  श्रीरामचरितमानस  श्रीराम लक्ष्मण सीता हनुमान, रावण इत्यादि गीता प्रेस गोरखपुर    श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार  संस्कृत, अवधी  सोरठा, चोपाई, दोहा और छंद  बालकाण्ड Shiv Aur Parvati Ka Vivaah | शिव और पार्वती का विवाह रति गवनी सुनि संकर बानी।  रति प्रणाम करके वहां से गईं, रति के जाने के बाद सब देवता दौड़ते हुए कैलाश पहूॅंचे, क्यों? कहीं बाबा दोबारा समाधि में न चले जाएं अब तो कामदेव भी नहीं रहे जो दोबारा बाबा को समाधि से बाहर लाएं। पृथक-पृथक तिन्ह कीन्हि प्रसंसा । भए प्रसन्न चंद्र अवतंसा॥ सब देवताओं ने शिवजी की अलग-अलग स्तुति की, तब शशिभूषण शिवजी प्रसन्न हो गए। बोले कृपासिंधु बृषकेतू। कहहु अमर आए केहि हेतू॥ कृपा के समुद्र शिवजी बोले- हे देवताओं! कहिए, आप किसलिए आए हैं? ब्रह्माजी बोले कह बिधि तुम्ह प्रभु अंतरजामी , प्रभु आप तो अंतर्यामी हैं सब जानते हैं। Image Source - Google | Image by -  Geeta Press दो०- सकल सुरन्ह क

Hindi Me Ramayan Chaupai

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  Image Source - Google | Image by -  Gita Press  Table 1 रचयिता ग्रंथ  पात्र प्रकाशक टीकाकार भाषा शैली काण्ड  गोस्वामी तुलसीदास जी  श्रीरामचरितमानस  श्रीराम लक्ष्मण सीता हनुमान, रावण इत्यादि गीता प्रेस गोरखपुर    श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार  संस्कृत, अवधी  सोरठा, चोपाई, दोहा और छंद  बालकाण्ड Ramayan Ki Chaupai Hindi Me  |  रामायण की चौपाई हिंदी में  |  Ramayan Chaupai Hindi Mein  |   Ramayan Chaupai Hindi Me Hindi Me Ramayan Chaupai श्रीरामचरितमानस जी में श्रीरामजी  की कथा क्या करती है? पहला काम मंगल करनि श्रीरामचरितमानस जी  की कथा जीव का मंगल करती है, मंगल करेगी तो अमंगल को भगाना नहीं पड़ेगा, अमंगल अपने आप समाप्त हो जायेगा। कैसे समाप्त होगा?-   कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की , पूज्यपाद तुलसीदास जी महाराज कहते हैं रघुनाथ जी की कथा जीव का मंगल करती है और जीवन के कलिमल ( कलिमश ) का हरण करती है। मल, यानी विकार ये विकार क्या हैं? काम , क्रोध , लोभ , काम, क्रोध और लोभ की जननी है। यदि आपकी कामना

Ramayan Chaupai Hindi Mein

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Image Source - Google | Image by -  Gita Press    Table 1 रचयिता ग्रंथ  पात्र प्रकाशक टीकाकार भाषा शैली काण्ड  गोस्वामी तुलसीदास जी  श्रीरामचरितमानस  श्रीराम लक्ष्मण सीता हनुमान, रावण इत्यादि गीता प्रेस गोरखपुर    श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार  संस्कृत, अवधी  सोरठा, चोपाई, दोहा और छंद  बालकाण्ड Ramayan Ki Chaupai Hindi Me  | रामायण की चौपाई हिंदी में  | Ramayan Chaupai Hindi Mein  |  Ramayan Chaupai Hindi Me गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज स्पष्ट करते हैं मैंने कथा क्यों लिखी? स्वान्त:सुखाय अपने अन्त: करण को सुख प्रदान करने के लिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना की, और बाबा का न्याय कहता है संसार के जितने धर्म ग्रंथ हैं गोस्वामी तुलसीदास जी ने सभी ग्रन्थों के सार को निचोड़ कर श्रीरामचरितमानस जी में समाहित कर दिया है। इसलिए केवल मानस जी का पठन-पाठन किया जाए तो हमें सभी ग्रंथों को पढ़ने का भाव, सभी ग्रंथों का रहस्य, सभी ग्रंथों को पढ़ने का पुण्य फल केवल मानस जी को पढ़ने से सहजता से प्रा

Ramayan Ki Chaupai Hindi Me

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Image Source - Google | Image by -  Gita Press  Table 1 रचयिता ग्रंथ  पात्र प्रकाशक टीकाकार भाषा शैली काण्ड  गोस्वामी तुलसीदास जी  श्रीरामचरितमानस  श्रीराम लक्ष्मण सीता हनुमान, रावण इत्यादि गीता प्रेस गोरखपुर    श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार  संस्कृत, अवधी  सोरठा, चोपाई, दोहा और छंद  बालकाण्ड Ramayan Ki Chaupai Hindi Me श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ करते हैं गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज वर्ण शब्द से ( वर्णानामर्थसंघानां ) और श्रीरामचरितमानस को पूरा करते हैं ( ते संसारपतङ्गघोरकिरणैर्दह्यन्ति नो मानवा:।। )। ये उत्तरकांकाण्ड के अंतिम श्लोक की अंतिम पंक्ति है, गोस्वामी जी श्रीरामचरितमानस को प्रारंभ करते हैं वर्ण शब्द से और विश्राम करते हैं श्रीरामचरितमानस को मानव शब्द से। वर्ण से प्रारंभ करके और मानव शब्द पर श्रीरामचरितमानस को पूर्ण करने का गोस्वामी तुलसीदास जी का केवल और केवल एक उद्देश्य है कि गोस्वामी जी कहना चाहते हैं, की वर्ण कोई भी हो ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य हो, शूद्र हो, सेवक हो वर्ण को

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Image Source - Google | Image by - Gita Press      Table 1 रचयिता ग्रंथ  पात्र प्रकाशक टीकाकार भाषा शैली काण्ड  गोस्वामी तुलसीदास जी  श्रीरामचरितमानस  श्रीराम लक्ष्मण सीता हनुमान, रावण इत्यादि गीता प्रेस गोरखपुर    श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार  संस्कृत, अवधी  सोरठा, चोपाई, दोहा और छंद  बालकाण्ड Ramayan Ki Chaupai Hindi Me | रामायण की चौपाई हिंदी में | Ramayan Chaupai Hindi Mein |  Ramayan Chaupai Hindi Me Ramayan Chaupai Hindi Me किसी भी ग्रंथ को पढ़ने से पहले उसके बारे में जानना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक आप जानेंगे नहीं आपका उसके प्रति विश्वास और श्रद्धा उत्पन्न नहीं होगी। और एक बार विश्वास जम जाए तो आपको उसे पढ़ने में और समझने में आंनद की अनुभूति होगी। मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज उत्तरकाण्ड में लिखते हैं- जानें बिनु न होइ परतीती । बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती ॥ (परतीत कहते हैं विश्वास को) गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं बिना जाने विश्वास होने वाला नहीं है और जब तक प्रेम और विश्वास उत्पन

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